Sunday 5 January 2014

गुरूजी या 2g



जब  मै  ९ वी में पढता था ,तब मेरे स्कूल में एक अनुपस्थिति का दंड २५   पैसा था महीनें क़ी ३० तारीख को ये पैसा जमा करना होता था कुल मिलकर १५ या २०  रूपये जमा होते  थे  तब एक समोसा १,५० रूपये और एक चाय १ रूपये में मिलती थी। गुरूजी क्लास छोड़कर उसी पैसे से चाय समोसा करने चले जाते थे,और हम क्लास में एक दुसरे से मजे या झगडे करते रहते थे / रिजल्ट में क्लास के २५ % लोग ही पास होते जिनमे से ९०% आज बरोजगार  है  फिर भी हम गुरूजी का पैर छुना  नहीं भूलते थे सोचते थे यही हमारा कर्म है। आज मेरा कोई भी मित्र जो मेरे साथ था  शायद ही समझ पाये कि २जी गोटाला क्या  है क्योकि आज भी हम नहीं समझ पा रहे  कि गुरूजी घोटाला क्या है। और हाँ गुरूजी घोटाले ने हमे किस राह पे  रख दिया हम नहीं जान पाये , आज भी गुरूजी दीखते है तो पैर पर गिर पड़ते है    हमारी जिंदगी गुरूजी के घोटालो से बदल गयी क्योकि हम २जॆ नहीं समझ सकतें , २जॆ इतना बड़ा घोटाला है लेकिन कितने लोग इसे समझते है ? सायद मेरे गाँव वाले तो नहीं , तो बड़ा घोटाला  कौन सा है गुरूजी या २ जी।